रमेश रोज मंदिर जाता है। संयोग से उसका व्यापर अच्छा चल रहा है। प्रतिदिन मंदिर जाने के कारन वह और लोग यही समझ रहे हैं की भगवान् कि महती कृपा है। उसके साथ-साथ अन्य लोग भी मंदिर जाने लगे। अब तो अच्छी खासी भीड़ लगने लगी थी। लोग प्रसन्न थे कि अब उनके समर्ध होने की बरी आने वाली है।
तभी एक दिन एक घटना होती है कि दो लडके अपनी मोटरसाईकिल से मंदिर कि तरफ जा रहे थे। सड़क के किनारे अपनी अपनी मोटरसाईकिल में बैठे- बैठे मंदिर के देवी-देवताओं को नमस्कार करने लगे। पीछे से आने वाले ट्रक ने उन दोनों को कुचल दिया। लोगो ने देखा और अस्पताल लेकर भागे। किन्तु कोई नहीं बचा। कुछ लोग वहां पर इकठ्ठा थे वे आपस में चर्चा करने लगे कि देखो कितने अच्छे बच्चे मर गए। वहीँ पर कुछा दूर खड़ा एक हमारा मित्र जो घटना को देख रहा था वह जोर-जोर से कह रहा था कि अर्चना करने पर भी जो देवी या देवता अपनी रक्षा नहीं कर पा रहा है वह किसी अन्य की क्या करेगा।
अब आपके सोंचने की बारी है कि एक देवी या देवता या भगवान को प्रणाम करने में मौत से बचने कि छमता नहीं है तो अन्य कार्य में मदद कैसे करेगा।
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