Wednesday, May 26, 2010

गलती करने वाला भागवान कैसे ?

जीवन गलतियों का पुलिंदा है क्योकि जो हमारी या समाज की नजर में गलती है वह इन्सान कि आदत भी हो सकती है। सीखना या सिखाना तो बहाना है। इन्सान तो गलती कर सकता है पर भगवान तो गलती नहीं करता है। लेकिन इस देश में तो जो सक्षम है वही गलती करता है और वही सही भी होता है।

Thursday, May 13, 2010

जरा सोचिये

कभी आपने सोचा है, कि आप है क्या औअर क्यों? क्या आप कर रहे है और क्या हो रहा है?
सोचिये अपने आप आपके पास एक रिजल्ट होगा और आप जानेगे कि आप क्या है? एक वाक्य देखिये कि यदि आप डाक्टर है तो आप क्या किसी भी आदमी को मरने देंगे। आपकी आतंरिक चेतना आपको इजाजत देगी कि आप के डाक्टर रहते हुए कोई मर जाये

यदि होता है तो आप अपने को माफ़ नहीं कर पाते है और अपनी पूरी शमता का पूरा उपयोग अक्र्के मरीज यानी आदमी को बचा लेते हैएक अस्पताल में एक आदमी को दिल को दिखाना था वह आता है और गिर जाता है यानी कि दिल कम करना बंद कर देता हैअब तो वह मौत के मुह में चला जाता है

डाक्टर पूरी कोसिस करते है और उसको लगभग हर स्तर का बिजली का कर्रेंट लगा कर बचा लेते हैवह आदमी उठता है और भगवान को धन्यवाद् देता हैअरे उस डाक्टर को दे जिसने तुझे जीवन दियालेकिन नहीं वह ऐसा नहीं कर सकता है

जरा बताओ कि भगवन कौन हुआ?






Monday, May 10, 2010

अपने को पहचानो

आज तो देखो और पहचानो कि तुम क्या हो? कही तुम्हे लोग किसी तरह से बरगला कर या बेवक़ूफ़ समझ कर आप की ताकत कम तो नहीं कर रहेतुम वह हो की सब कुछ करना में सक्षम होथोड़ी सी कोसिस करो और अपने को पहचानोसमझो, की तुममे कितनी ताकत हैलेकिन तुम्हारी ताकत को लोगो ने मोड़ रक्खा हैजब तुम कुछ करते हो तो तुममे एक अजनबी सी ताकत होती है

Saturday, May 1, 2010

सबसे बड़े ईस्वर माता-पिता

जीवन का मिलना उतना ही कठिन है जैसा, कि जीवन के बारे में जानना इन्सान के रूप में हम अपने आस-पास देखते हैं तो इन्सान- इन्सान ही तो दिख रहे है इनके किसी के साथ भी कुछ कर सकते हैं आज का इन्सान दूसरे को छोडो अपनों से भी प्यार छोड़ चुका है हमारा भाई, हमारी बहिन, हमारा पडोसी, हमारे माता-पिता अन्य सम्बन्धी भई इन्सान ही है हम उनके साथ कुछ तो अच्छा कर ही सकते हैं. वह भी तो मानव सेवा ही है.चूकि जिसने जीवन दिया है, उसे पूजने का हमारा प्रथम कर्त्तव्य है सबसे बड़े देवता तो वही हैपैदा होते ही उनका कार्य शुरू होकर फिर मानव को चलने-फिरने लायक बनाकर ही खत्म होता है

हमें आज से ही माता-पिता की सेवा का साथ-साथ पूजा शुरू कर देनी चाहिए