जीवन गलतियों का पुलिंदा है क्योकि जो हमारी या समाज की नजर में गलती है वह इन्सान कि आदत भी हो सकती है। सीखना या सिखाना तो बहाना है। इन्सान तो गलती कर सकता है पर भगवान तो गलती नहीं करता है। लेकिन इस देश में तो जो सक्षम है वही गलती करता है और वही सही भी होता है।
No comments:
Post a Comment