एक दिन एक मंदिर में एक व्यक्ति की एक दुर्घटना में काफी ज्यादा चोटें लगी थी। खून बह रहा था। कोई भी उधर से गुजरता तो देखता और निकल लेता। एक व्यक्ति ऐसा भी आया जिसने उसे उठाया और अपने कपड़ों आदि की चिंता छोड़ कर उसे अस्पताल ले गया। मंदिर के किसी भी पुजारी या प्रबंधन ने जहमत नहीं उठाई कि उसे किसी भी अस्पताल में भारती करा दिया जाये। भगवन के दरबार में ऐसे लोगो का क्या स्थान । भगवान भी ऐसी स्थिति में नहीं कि उसे ठीक कर सके। जो व्यक्ति अस्पताल ले गया उसके कपडे भी ख़राब हुए लेकिन वह आदमी बच गया। अब सोंचो कि भगवान कौन हुआ।
वह आदमी या मंदिर का भगवान या मंदिर से भगवान का व्यापर करने वाले लोग।
No comments:
Post a Comment