इस देश का कानून अँधा है। न जाने कितने ही निर्दोसो को कानून सजा देता है। हम देखते है और जानते हुए भी विरोध नहीं कर पाते है। कानून भी बताते है की विकता है। जहाँ देश का भगवान् बिकता होगा, जाहिर सी बात है कि वहां क्या-क्या न बिकता होगा। जहाँ का कानून नहीं देखता होगा तो जरूर ईस्वर कि भी नजर नही कम कर रही होगी। इस देश का भगवान = कानून मन जाता है।
अब आप भी तो अपने चारो तरफ देखें और समझें कि क्या हो रहा है? क्या बिक रहा है?
जब भी सच को हाथ में लेकर देखेंगे तो आप भी समाज के विरोधी हो जायेंगे। लोग आप के खिलाफ खाने होगे और लाभ लेने वाले आप को भगवान का सच दिखने के लिए कानून से खेल रहे होंगें। आप कि स्थित क्या होगी, आप ही जानेंगे और आपको जानने वाले भी आप का साथ छोड़ कर चले जायेंगे। आप खुद ही देख लेंगे कि भगवान अँधा है। उसकी आँखे भी वही लोग है जो उसकी आँखों में पट्टी बांधने का कम कर रहे है.
but this will lead to anarchy so concept of god is invented to make us positive
ReplyDeletegood!
ReplyDeleteभगवान नही आप अन्धे हो,---अन्तर के पट खोल रे तोहे पिया मिलेंगे... उठो जागो ने सही लिखा है --but this will lead to anarchy so concept of god is invented to make us positive. कानून तो होता ही अन्धा है तकि वह किसी भी पक्ष को न देख सके--निष्पक्ष रहे--कानून नहीं --वहां बैठा मानव --जज, वकील, पुलिस अन्धा होजाता है स्वार्थ बस, गलत कार्य करता है। तू ही कानून, तू ही अपराधी, तू ही न्याय मांगने वाला--रे नर! भगवान को दोष क्यों?????
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